बुधवार, 25 जनवरी 2017

एशिया - प्रशांत महासागरीय आर्थिक सहयोग

एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपेक) 21 के लिए एक मंच है प्रशांत रिम सदस्य अर्थव्यवस्थाओं
 [2] कि को बढ़ावा मुक्त व्यापार भर में एशिया-प्रशांत क्षेत्र। यह 1989 में एशिया-प्रशांत अर्थव्यवस्थाओं और क्षेत्रीय के आगमन की बढ़ती निर्भरता के जवाब में स्थापित किया गया था व्यापार ब्लॉक दुनिया के अन्य भागों में; आशंका है कि शांत करने के लिए उच्च औद्योगिक जापान (के एक सदस्य जी -8 ) एशिया-प्रशांत क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों पर हावी करने के लिए आ सकता है; और कृषि उत्पादों और यूरोप से परे कच्चे माल के लिए नए बाजारों की स्थापना।

3- एक वार्षिक अपेक आर्थिक नेताओं की बैठक ने भाग लिया है शासनाध्यक्षों को छोड़कर सभी अपेक के सदस्यों के ताइवान (जो एक का प्रतिनिधित्व करती है मंत्रिस्तरीय आधिकारिक नाम के तहत चीनी ताइपे आर्थिक नेता के रूप में
4- )। बैठक के स्थान सालाना सदस्य अर्थव्यवस्थाओं के बीच घूमता है, और एक प्रसिद्ध परंपरा है, के लिए पीछा सबसे अधिक (लेकिन सभी नहीं) शिखर, एक में ड्रेसिंग में भाग लेने के नेताओं के शामिल राष्ट्रीय पोशाक मेजबान देश की।
अपेक वर्तमान में समुद्र तट पर एक साथ सबसे अधिक देशों सहित 21 सदस्यों, प्रशांत महासागर । हालांकि, सदस्यता के लिए कसौटी है कि सदस्य एक अलग अर्थव्यवस्था है, बल्कि एक राज्य से है। नतीजतन, अपेक सदस्य देशों अवधि सदस्य अर्थव्यवस्थाओं के बजाय का उपयोग करता है अपने सदस्यों को देखें। इस कसौटी का एक परिणाम यह है कि मंच की सदस्यता शामिल ताइवान (आधिकारिक तौर पर चीन के गणराज्य का नाम "चीनी ताइपे" के तहत भाग लेने) के साथ-साथ चीन की पीपुल्स रिपब्लिक (देखें पार जलसंयोगी संबंधों ), साथ ही हांगकांग , जो प्रवेश किया अपेक एक ब्रिटिश उपनिवेश के रूप में है, लेकिन यह अब एक है चीन की पीपुल्स गणराज्य के विशेष प्रशासनिक क्षेत्र । : अपेक भी तीन अधिकारी भी शामिल हैं पर्यवेक्षकों आसियान , प्रशांत द्वीप फोरम और प्रशांत आर्थिक सहयोग परिषद

पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक)

पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन (ओपेक) विकासशील देशों के तेल निर्यात का एक स्थायी अंतर-सरकारी संगठन है कि निर्देशांक और इसके सदस्य देशों के पेट्रोलियम नीतियों जोड़ता है। ओपेक हानिकारक और अनावश्यक उतार-चढ़ाव को नष्ट करने के लिए अंतरराष्ट्रीय तेल बाजार में तेल की कीमतों के स्थिरीकरण सुनिश्चित करने के लिए एक दृश्य के साथ, कारण संबंध के तेल उत्पादक देशों के हितों के लिए और उनके लिए एक स्थिर आय हासिल करने की आवश्यकता के लिए हर समय दिया जा रहा है चाहता है । समान रूप से महत्वपूर्ण उपभोक्ता देशों में पेट्रोलियम की एक कुशल, आर्थिक और नियमित आपूर्ति की देखरेख में ओपेक की भूमिका, और पेट्रोलियम उद्योग में निवेश करने वालों के लिए पूंजी पर उचित प्रतिफल है।

ओपेक बगदाद, इराक की राजधानी में एक बैठक, पांच देशों है कि संस्थापक सदस्यों ने भाग बन गया 14 सितम्बर 1960 को गठन किया गया था। यह 6 नवंबर, 1962 को संयुक्त राष्ट्र सचिवालय के साथ पंजीकृत किया गया था, संयुक्त राष्ट्र के संकल्प सं 6363. बगदाद बैठक में उपस्थिति में भी थे निम्नलिखित - ईरान, इराक, कुवैत, सऊदी अरब और वेनेजुएला के इस्लामी गणराज्य। वे ओपेक की स्थापना के मूल समझौते पर हस्ताक्षर किए। अल्जीरिया, अंगोला, इक्वाडोर, ईरान, इराक, कुवैत, लीबिया, नाइजीरिया, कतर, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और वेनेजुएला: वर्तमान में, संगठन बारह सदस्यों, अर्थात् है।

नोटबंदी से सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ SME सेक्टर: सर्वे -

केंद्र सरकार की ओर से लिए गए नोटबंदी के फैसले का सबसे ज्यादा असर SME सेक्टर में उत्पादन, मजदूरी और रोजगार में गिरावट के रूप में सामने आया है। भारत विकास फाउंडेशन (इंडिया डेवलपमेंट फाउंडेशन) के एक ताजा अध्ययन में यह बात सामने आई है। हालांकि रिसर्च फाउंडेशन ने यह भी कहा कि नोटबंदी का कोई भी प्रत्यक्ष प्रभाव कीमतों और कृषि कमोडिटीज की आपूर्ति पर नहीं पड़ा है।
अपने इस अध्ययन में, भारत विकास फाउंडेशन (आईडीएफ) ने कृषि और उन असंगठित क्षेत्रों पर नोटबंदी का असर जानने की कोशिश की जो की पूरी तरह नकद लेन-देन पर निर्भर करते हैं। साथ ही ये ऐसे क्षेत्र हैं जो आबादी के बड़े हिस्से को रोजगार भी मुहैया कराते हैं।
एक रिलीज जारी करते हुए आईडीएस के फैलो अरिजीत दास ने बताया, “हमारा यह अध्ययन बताता है कि नोटबंदी के तत्काल बाद कृषि उपज के दाम और मात्रा पर इसका कोई प्रत्यक्ष प्रभाव नहीं पड़ा है।” उन्होंने कहा कि कृषि पर दीर्घकालिक प्रभाव मिले जुले रहे हैं, जिसे मापने के लिए तरह तरह से टूल्स का इस्तेमाल किया गया। SME सेक्टर पर पड़ने वाले असर के बारे में आईडीएफ ने कहा, “कृषि क्षेत्र के विपरीत एसएमई सेक्टर पर नोटबंदी का नकारात्मक असर पड़ा है। साल 2016 की अंतिम तिमाही में उत्पादन गतिविधियों में बीते वर्ष की समान अवधि की तुलना में गिरावट देखने के मिली है।”

मंगलवार, 24 जनवरी 2017

भारत की जीडीपी वृद्धि दर चीन से बेहतर रहने की उम्मीद : क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच

नोटबंदी का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर पर क्या असर पड़ेगा, इसका अनुमान कठिन है, क्योंकि इसके कई पहलू हैं. लेकिन भारत की विकास दर अभी भी चीन के मध्यम अवधि की तुलना में अधिक रहेगी. क्रेडिट रेटिंग एजेंसी फिच ने एक बयान में कहा है कि उसे उम्मीद है कि मध्यम अवधि में भारत की जीडीपी दर चीन से अधिक रहेगी.

फिच के एशिया प्रशांत सॉवरिन समूह के निदेशक थॉमस रूकमाकर का कहना है, 'हमें उम्मीद है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर में वित्त वर्ष 2018 में तेजी आएगी. इसे सरकार द्वारा किए गए सुधार, पिछले साल मौद्रिक नीति में लाई गई सहजता, अवसंरचना पर बढ़ाए गए खर्च से मजबूती मिलेगी. जबकि चीन अपनी व्यापक अर्थव्यवस्था का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाता जा रहा है, जो विकास के लिए बोझ बन चुका है.' उन्होंने कहा, 'चीन के लिए हमारा अनुमान है कि वहां की जीडीपी दर 2017 में 6.4 फीसदी रहेगी, जो 2016 में लगाए गए 6.7 फीसदी के अनुमान से कम है.'

वहीं, अक्टूबर 2016 में फिच चालू वित्त वर्ष में भारत के 7.4 फीसदी विकास दर का अनुमान लगाया था. फिच ने यह भी कहा कि भारत की विकास दर 2018-19 तक आठ फीसदी होगी.

सरकार की नोटबंदी का भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में फिच ने कहा है कि अल्पावधि में इसका नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा और यह इस पर निर्भर करेगा कि कितने दिनों तक नकदी की कमी बरकरार रहती है.

दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन

दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (सार्क) दक्षिण एशिया के आठ देशों का आर्थिक और राजनीतिक संगठन है। संगठन के सदस्य देशों की जनसंख्या (लगभग 1.5 अरब) को देखा जाए तो यह किसी भी क्षेत्रीय संगठन की तुलना में ज्यादा प्रभावशाली है। इसकी स्थापना 7 दिसम्बर 1985 को भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, नेपाल, मालदीव और भूटान द्वारा मिलकर की गई थी। अप्रैल 2007 में संघ के 14 वें शिखर सम्मेलन में अफ़ग़ानिस्तान इसका आठवा सदस्य बन गया।
शिखर सम्मेलन
    7 दिसंबर, 1985 ढाका
    16 नवंबर, 1986 बैंगलोर
    21 नवंबर, 1987 काठमांडू
    29 दिसंबर, 1988 इस्लामाबाद
    21 नवंबर, 1990 माले
    21 दिसंबर, 1991 कोलंबो
    10 अप्रैल, 1993 ढाका
    21 मई, 1995 नयी दिल्ली
    12 मई, 1997 माले
    29 जुलाई, 1998 कोलंबो
    4 जनवरी, 2002 काठमांडू
    2 जनवरी, 2004 इस्लामाबाद
    12 नवंबर, 2005 ढाका
    13 अप्रैल, 2007 नयी दिल्ली
    १-३ अगस्त, 2008, कोलंबो
    २८-२९ अप्रिल, 2010,थिम्पू
    १०-११ नवम्बर, 2011, अद्दू शहर
    २७-२८ नवम्बर, 2014, काठमांडू
    7 दिसंबर, 1985 ढाका
    16 नवंबर, 1986 बैंगलोर
    21 नवंबर, 1987 काठमांडू
    29 दिसंबर, 1988 इस्लामाबाद
    21 नवंबर, 1990 माले
    21 दिसंबर, 1991 कोलंबो
    10 अप्रैल, 1993 ढाका
    21 मई, 1995 नयी दिल्ली
    12 मई, 1997 माले
    29 जुलाई, 1998 कोलंबो
    4 जनवरी, 2002 काठमांडू
    2 जनवरी, 2004 इस्लामाबाद
    12 नवंबर, 2005 ढाका
    13 अप्रैल, 2007 नयी दिल्ली
    १-३ अगस्त, 2008, कोलंबो
    २८-२९ अप्रैल, 2010,थिम्पू
    १०-११ नवम्बर, 2011, अद्दू शहर
    २७-२८ नवम्बर, 2014, काठमांडू

सोमवार, 23 जनवरी 2017

क्रेडिट कार्ड बिल का न्यूनतम भुगतान बिगाड़ सकता है आपकी वित्तीय सेहत

नोटबंदी के बाद से कैशलेस ट्रांजेक्शन तेजी से बढ़ा है। इसके चलते प्लास्टिक मनी यानी क्रेडिट और डेबिट कार्ड का इस्तेमाल भी कई गुना बढ़ गया है।
नोटबंदी के बाद से कैशलेस ट्रांजेक्शन तेजी से बढ़ा है। इसके चलते प्लास्टिक मनी यानी क्रेडिट और डेबिट कार्ड का इस्तेमाल भी कई गुना बढ़ गया है। बैंक भी अपने कस्टमर बेस बढ़ाने के लिए धड़ल्ले से क्रेडिट कार्ड दे रहे हैं। बिना पैसा दिए 45 दिन के क्रेडिट पीरियड से इसकी लोकप्रियता और बढ़ गई है। अगर आप भी कैशलेस भुगतान में क्रेडिट कार्ड का इस्तेमाल जमकर कर रहे हैं तो थोड़ा संभल जाइए। इससे आपका बजट बिगड़ सकता है। क्रेडिट कार्ड आपका दोस्त तब तक बना रहेगा, जब तक आप तय समय सीमा के अंदर पूरे बिल का भुगतान कर देते हैं। अगर आप बजट से बाहर जाकर खरीदारी कर लेते हैं और पूरा बिल नहीं चुका पाते हैं तो आपके पास दो विकल्प  होते हैं- मिनिमम बैलेंस भरें या बिल का भुगतान मासिक किस्तों में करें। आइए जानते हैं कि इन दोनों विकल्पों का आपकी फाइनेंशियल सेहत पर क्या असर होता है।
न्यूनतम भुगतान का असर
न्यूनतम भुगतान करने से बकाया रकम चुकाने की अवधि तो बढ़ जाती है, लेकिन आप अपनी मेहनत की कमाई, ऊंचेे ब्याज में लुटा देते हैं। क्रेडिट कार्ड की बकाया रकम पर 2 से 3 फीसदी प्रति माह ब्याज भुगतान करना होता है। इस तरह आप पर कर्ज का बोझ बढ़ जाता है। आपको सालाना 36 से 40 फीसदी ब्याज चुकाना होता है। आप खुद ही समझ सकते हैं कि इतनी मोटी ब्याज दर आपकी मेहनत की कमाई पर किस तरह चुना लगा सकती है।
बकाया राशि को ईएमआई में बदलना
जब आप क्रेडिट कार्ड से बड़ी रकम का भुगतान या खरीदारी करते हंैं तो बैंक की ओर से आपको एसएमएस या फोन कर उसको ईएमआई में बदलने का विकल्प दिया जाता है। यह विकल्प आपको काफी आकर्षक दिखता है, लेकिन इसमें भी नुकसान है। ईएमआई में बदलने पर बैंक आपसे एक तय फीसदी का प्रोसेसिंग चार्ज वसूल करते हैं। और फिर बकाया रकम पर ईएमआई वसूल करते हैं। आपके पास पैसा आने के बाद अगर आप समय से पहले चुकाना भी चाहते हैं तो बैंक प्रीक्लोजर चार्ज लगाते हैं। यानी समय से पहले भुगतान पर भी वे आपसे पैसा वसूल करते हैं।

शुक्रवार, 20 जनवरी 2017

ब्रिक्स (BRICS)

ब्रिक्स (BRICS) उभरती राष्ट्रीय अर्थव्यवस्थाओं के एक संघ का शीर्षक है। इसके घटक राष्ट्र ब्राज़ील, रूस, भारत, चीन और दक्षिण अफ्रीका हैं। इन्हीम देशों के अंग्रेज़ी में नाम के प्रथमाक्षरों B, R, I, C व S से मिलकर इस समूह का यह नामकरण हुआ है।
1-2010 में दक्षिण अफ्रीका के शामिल किए जाने से पहले इसे "ब्रिक" के नाम से जाना जाता था। रूस को छोडकर
2- ब्रिक्स के सभी सदस्य विकासशील या नव औद्योगीकृत देश हैं जिनकी अर्थव्यवस्था तेजी से बढ़ रही है। ये राष्ट्र क्षेत्रीय और वैश्विक मामलों पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं। वर्ष 2013 तक, पाँचों ब्रिक्स राष्ट्र दुनिया के लगभग 3 अरब लोगों का प्रतिनिधित्व करते हैं और एक अनुमान के अनुसार ये राष्ट्र संयुक्त विदेशी मुद्रा भंडार में 4 खरब अमेरिकी डॉलर का योगदान करते हैं। इन राष्ट्रों का संयुक्त सकल घरेलू उत्पाद 15 खरब अमेरिकी डॉलर का है।
3- वर्तमान में, दक्षिण अफ्रीका ब्रिक्स समूह की अध्यक्षता करता है
सातवां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन, 2015
सातवां ब्रिक्स शिखर सम्मेलन 2015 में रूस के संघीय क्षेत्र बाश्कोर्तोस्तान के ऊफा में सम्पन्न हुआ। इस सम्मेलन का मुख्य विषय ब्रिक्स साझेदारी वैश्विक विकास का एक शक्तिशाली कारक था।

8वा ब्रिक्स सम्मेलन गोवा भारत

TOP 7 ECOMMERCE COMPANIES IN INDIA 2017

1. Amazon :-It is one of the leading and reputed online e-commerce platforms acknowledged at a wide scale all over the country. Accessed by zillions of people from all over the globe, the marketplace is operated by an affiliate of Amazon.com that is Amazon Seller Services Private Limited.



2. Flipkart - It is a reputed and one of the esteemed e-commerce platforms used simply all across the world.  A famous online shopping e-commerce marketplace of the country, it got nominated in 2011 for Indiamart Leaders of Tomorrow awards and recognition. Also, as per April 2017, the founders of the platform are been named as the most influential people by TIME.

Establishment – 2007




3.Snapdeal:- Snapdeal was started by alumnus of IIT Delhi in 2010 and within 3 years capture huge share of Indian e-commerce industry. Initially it was started as discount coupon website but to capture growing ecommerce market Snapdeal has change their business model.
Establishment – 2010

4.  Myntra was established by IIT graduates in 2007 and has headquartered in Bangalore. Company works in niche market space of apparels and has tie up with prominent brands.
Establishment – 2007

5.  Dealsandyou:- is a deals website that brings discounted deals of numerous day to day products. Deals help consumers to get discount and also increase the sales of the sellers.

Establishment – 2008

6. Yebhi.com is another well-known ecommerce company started in 2009 and within 4 years become the establish player in ecommerce industry. Yebhi was started as BigShoeBazaar.com and then changed its identity to Yebhi. After seen the potential in this company Nexus Venture Partners and N. R. Narayana Murthy’s Catamaran Ventures invested 40 crore in this company.
Establishment – 2010



7.Jabong:-Founded in the year 2012 at Gurgaon, Jabong is leading fashion portal of India.


गुरुवार, 19 जनवरी 2017

वर्ष 2017 में चार चीजें जिन पर भारत को ध्यान देने की है जरूरत

1. अक्षय ऊर्जा पर अधिक ध्यान,
2. गांवों में अधिक विश्वसनीय बिजली आपूर्ति,
3. राष्ट्रीय पहचान प्रणाली बन चुके आधार के प्रसार और इंटरनेट के अधिक प्रयोग एवं विस्तार पर
भारत को 2017 में ध्यान देना चाहिए।
सुशासन के लिए आंकड़ों का विश्लेषण कर नतीजे निकालने वाले संगठन इंडियास्पेंड का कहना है कि ऊर्जा क्षमता में बढ़ोतरी के लिए अक्षय ऊर्जा पर ध्यान देना चाहिए, ताकि देश की कोयले पर निर्भरता कम हो। भारत का कहना है कि इस साल वह 16 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा संयंत्र स्थापित करेगी, जिसे 2022 तक 175 गीगावॉट बनाने का लक्ष्य रखा गया है।

बिजली मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक भारत की 30 नवंबर 2016 तक कुल ऊर्जा क्षमता 309 गीगावॉट है, जिसका करीब 15 फीसदी अक्षय ऊर्जा स्रोतों से प्राप्त होता है। सितंबर 2015 से सितंबर 2016 के बीच देश भर में 8.5 गीगावॉट अक्षय ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए गए, जबकि इस साल पवन ऊर्जा की स्थापित क्षमता में 15.2 फीसदी की बढ़ोतरी हुई और यह 3.7 गीगावॉट से अधिक हो गया। वहीं, सौर ऊर्जा क्षमता में करीब 96 फीसदी की वृद्धि हो गई है और यह 4.2 गीगावॉट है।
आधार कार्ड पर ध्यान देने की भी जरूरत है। अब उत्तरपूर्वी राज्यों में आधार कार्ड बनाने पर ध्यान दिया जा रहा है। साल 2016 तक कुल एक अरब लोगों के आधार कार्ड जारी होने का अनुमान लगाया गया था और यह आंकड़ा अप्रैल में ही पार कर गया। दिसंबर 2016 तक कुल 1.095 अरब आधार कार्ड बन चुके हैं। इनमें से 73.4 फीसदी आधार कार्ड रखने वालों की उम्र 18 साल से अधिक है, जबकि 22.75 फीसदी आधार कार्ड धारकों की उम्र 5 से 18 वर्ष के बीच है।
इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या में मामले में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है। यह अनुमान लगाया गया था कि जून 2016 तक इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या बढ़कर 46.2 करोड़ हो जाएगी। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण की रिपोर्ट के मुताबिक सितंबर 2016 तक देश में 36.75 करोड़ इंटरनेट उपभोक्ता हैं।

नोटबंदी: विश्व बैंक ने विकास दर का अनुमान घटाकर किया 7 फीसदी ‌

नोटबंदी के बाद भारतीय बाजार पर चौतरफा मार पड़ी है और अब विश्व बैंक ने भी ये महसूस किया है। विश्व  बैंक ने वित्त वर्ष 2016-17 के लिए भारत की विकास दर का अनुमान 7.6 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया है।


भारत ने चीन को पीछे छोड़ते हुए विश्व की सबसे तेजी से उभरती अर्थव्यवस्था का रुतबा बरकरार रखा है। विश्व बैंक ने कहा कि उम्मीद है कि भारतीय अर्थव्यवस्था फिर से तेज रफ्तार पकड़ेगी। भारत की विकास दर वित्त वर्ष 2018 में 7.6 फीसदी और वित्त वर्ष 2019-20 में 7.8 फीसदी रहने का अनुमान है।